भारत में कृषि आधारित उद्यमों में डेयरी फार्मिंग एक सबसे आकर्षक और लाभदायक व्यवसाय के रूप में उभर रहा है। महज 10,000 रुपये के प्रारंभिक निवेश के साथ, एक युवा उद्यमी अपना स्वयं का डेयरी व्यवसाय शुरू कर सकता है और प्रतिदिन सुनिश्चित आय अर्जित कर सकता है।
छोटे स्तर पर, किसी भी उद्यमी को 2 गायों या भैंसों के साथ शुरुआत करने की सलाह दी जाती है। इस उद्योग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां हर उत्पाद का महत्व है – दूध से लेकर गोबर तक। दूध से विभिन्न उच्च मूल्य वाले उत्पाद जैसे पनीर, दही, घी, छैना और खोया बनाए जा सकते हैं, जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं।
भारत सरकार डेयरी उद्यमियों के लिए कई प्रोत्साहन प्रदान करती है। दो पशुओं की खरीद पर 35,000 से 50,000 रुपये तक की सब्सिडी प्राप्त की जा सकती है। नाबार्ड के डेयरी एन्ट्रेप्रोन्योरशिप डेवलपमेंट योजना के तहत विशेष वित्तीय सहायता उपलब्ध है। भारतीय स्टेट बैंक सहित कई वाणिज्यिक बैंक डेयरी फार्म स्थापना के लिए ऋण प्रदान करते हैं।
व्यवसाय की सफलता स्थानीय बाजार की मांग को समझने में निहित है। कुछ क्षेत्रों में पैकेट बंद दूध की अधिक मांग होती है, जबकि अन्य में ताजा दूध की। अमूल और मदर डेयरी जैसी बड़ी डेयरी कंपनियां सीधे किसानों से दूध खरीदने में रुचि रखती हैं, जो एक निश्चित आय स्रोत प्रदान करता है।
एक छोटे पैमाने के डेयरी व्यवसाय में, दो पशुओं के साथ, एक उद्यमी प्रतिदिन 15-20 लीटर दूध का उत्पादन कर सकता है। वर्तमान बाजार दरों के अनुसार, यह दैनिक आय में 500-1000 रुपये का अनुमान लगाया जा सकता है।
व्यवसाय शुरू करने से पहले पशु चिकित्सा देखभाल, पशु आहार, स्वच्छता और गुणवत्ता नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। स्थानीय कृषि विभाग और डेयरी विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेना उचित रहेगा।