वर्तमान समय में गिरते भू-जल स्तर की चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। किसानों को धान की खेती से हटकर कम पानी की खपत वाली फसलों की ओर प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष योजना की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत, किसानों को धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलें उगाने या खेत को खाली छोड़ने पर 10,000 रुपए प्रति एकड़ की सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
राज्य सरकार किसानों के समग्र विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। 500 हाईटेक सीएम पैक्स केंद्रों की स्थापना की जा रही है, जो किसानों के लिए वन-स्टॉप सेंटर के रूप में काम करेंगे। इन केंद्रों पर किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक की जानकारी के साथ-साथ प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। एफपीओ और पैक्स को अनाज भंडारण के लिए एक करोड़ रुपए तक का ब्याज-मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
फसल विविधिकरण योजना के अंतर्गत किसान मक्का, मूंग, मोठ, उड़द, अरहर, ग्वार, मूंगफली, सोयाबीन, तिल, अरंडी, कपास और खरीफ प्याज जैसी फसलों की खेती कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, खरीफ सब्जियों के साथ चारे की खेती पर भी योजना का लाभ मिलेगा। यह विकल्प न केवल पानी की बचत करेंगे बल्कि किसानों की आय में भी विविधता लाएंगे।
राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों की सहायता के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं। रबी सीजन 2023-24 में लगभग 49,000 किसानों को 133.75 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा दिया गया है। साथ ही, ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से 12 लाख किसानों को एमएसपी पर फसल खरीद का भुगतान किया गया है। सरकार नकली खाद और बीज की समस्या से निपटने के लिए कड़े कानून भी बना रही है।
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, वोटर आईडी, भूमि दस्तावेज, बैंक खाता विवरण और अन्य पहचान पत्र शामिल हैं। अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।