भारतीय रिज़र्व बैंक ने होम लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इस नई व्यवस्था के तहत बैंकों को ग्राहकों से ब्याज वसूली के नियमों में बदलाव करना होगा। यह फैसला ग्राहकों की शिकायतों और बैंकों के वार्षिक निरीक्षण के बाद लिया गया है।
नई गाइडलाइन के अनुसार, बैंकों को अब लोन की धनराशि के वास्तविक वितरण की तिथि से ही ब्याज वसूलना होगा। पहले कई बैंक लोन मंजूरी की तिथि से ब्याज वसूल रहे थे, जिससे ग्राहकों को अतिरिक्त भार वहन करना पड़ता था। इस नियम से ग्राहकों को राहत मिलेगी, हालांकि बैंकों को करीब सौ करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
विभिन्न बैंकों की प्रोसेसिंग फीस में भिन्नता है। भारतीय स्टेट बैंक लोन राशि का 0.35% प्रोसेसिंग शुल्क लेता है, जिसकी न्यूनतम सीमा ₹2,000 और अधिकतम सीमा ₹10,000 है। दूसरी ओर, एचडीएफसी बैंक लोन राशि का अधिकतम 1% और न्यूनतम ₹7,500 शुल्क वसूलता है। सभी बैंकों द्वारा इस शुल्क पर अतिरिक्त जीएसटी भी लगाया जाता है।
आरबीआई ने बैंकों को चेक के माध्यम से लोन देने के बजाय ऑनलाइन खाता हस्तांतरण का उपयोग करने का निर्देश दिया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कुछ बैंक चेक जारी करने की तिथि से ब्याज वसूल रहे थे, जबकि चेक ग्राहक को कई दिन बाद मिलता था।
यह नई गाइडलाइन दर्शाती है कि रिज़र्व बैंक ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए लगातार प्रयासरत है। बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और ग्राहकों को उचित सेवाएं प्रदान करने के लिए समय-समय पर नियमों में आवश्यक बदलाव किए जाते हैं। इस नई व्यवस्था से होम लोन लेने वाले ग्राहकों को अनावश्यक वित्तीय बोझ से राहत मिलेगी और बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।