किसानों की आर्थिक और पारिस्थितिक उन्नति हमेशा से भारतीय कृषि नीतियों का केंद्रीय विषय रहा है। इस संदर्भ में राजस्थान सरकार ने एक अभिनव पहल की है जो न केवल किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।
राजस्थान सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठी योजना शुरू की है जो किसानों के लिए वास्तव में एक संजीवनी साबित हो सकती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मुक्त खेती की ओर प्रेरित करना है। सरकार इस पहल के माध्यम से तीन किसानों को प्रत्येक 1 लाख रुपये का प्रोत्साहन राशि प्रदान करेगी।
यह योजना केवल उन किसानों के लिए है जो पूर्ण रूप से जैविक खेती में संलग्न हैं। चयन प्रक्रिया में 20 विभिन्न मानदंडों का मूल्यांकन किया जाएगा। इन मानदंडों में वर्मी कंपोस्ट का उपयोग, जैविक बीजों का इस्तेमाल, जैव उर्वरक और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग शामिल हैं।
किसानों के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2024 है। सरकार ने जानबूझकर ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया को अपनाया है ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें। किसानों को अपने संबंधित जिला स्तरीय विभागों से संपर्क करना होगा।
जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया गया है जो किसानों के चयन की पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित करेगी। समिति खेती के हर पहलू की गहन जांच करेगी और केवल योग्य किसानों को पुरस्कार के लिए चुनेगी।
जैविक खेती केवल एक कृषि पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैश्विक स्तर पर जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जो किसानों को अपने उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सहायक हो सकती है।
इस योजना का उद्देश्य केवल किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना नहीं है, बल्कि एक व्यापक पारिस्थितिक परिवर्तन लाना भी है। जैविक खेती के माध्यम से किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभा सकते हैं।
राजस्थान सरकार की यह पहल निश्चित रूप से किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह योजना न केवल वर्तमान पीढ़ी के किसानों को लाभान्वित करेगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और टिकाऊ कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगी।