आज के समय में लोन लेना एक आम बात हो गई है। कार, घर या व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लोग बैंकों से लोन लेते हैं। लेकिन कभी-कभी वित्तीय समस्याओं के कारण लोग समय पर ईएमआई नहीं चुका पाते और लोन डिफॉल्टर बन जाते हैं। ऐसी स्थिति में आपको अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।
यदि आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो बैंक को अपनी समस्या बताने का आपको पूरा अधिकार है। आप नौकरी छूटने या किसी दुर्घटना जैसे कारणों को लिखित रूप में बैंक के सामने रख सकते हैं। बैंक से डिफॉल्ट नोटिस मिलने पर आप अपील भी कर सकते हैं।
बैंक सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही वसूली की कार्रवाई कर सकते हैं। वे आपको परेशान नहीं कर सकते और न ही धमकी दे सकते हैं। यदि कोई बैंक कर्मचारी दुर्व्यवहार करता है, तो आप उसकी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
अगर बैंक आपकी संपत्ति की नीलामी करना चाहता है, तो उसे आपको पहले नोटिस देना होगा। नोटिस में संपत्ति का मूल्य और नीलामी की तिथि की जानकारी होनी चाहिए। यदि आपको संपत्ति का मूल्यांकन उचित नहीं लगता, तो आप इस पर आपत्ति जता सकते हैं।
यदि आपकी संपत्ति की बिक्री से लोन राशि से ज्यादा पैसा मिलता है, तो वह अतिरिक्त राशि आपको वापस मिलेगी। यह आरबीआई का नियम है और बैंकों को इसका पालन करना जरूरी है।
लोन लेते समय अपनी आय और खर्च का सही आकलन करें। यदि आपको लगता है कि आप ईएमआई नहीं चुका पाएंगे, तो लोन की अवधि बढ़ाने या ईएमआई कम करने के लिए बैंक से बात कर सकते हैं। हालांकि इसमें कुछ अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।
इस तरह, लोन डिफॉल्टर होने पर भी आपके पास कई अधिकार हैं। लेकिन सबसे अच्छा यही होगा कि लोन लेते समय अपनी वित्तीय स्थिति का सही आकलन करें और समय पर ईएमआई चुकाने की कोशिश करें। यदि कोई समस्या हो, तो तुरंत बैंक से संपर्क करें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें।