भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए देश के लाखों कॉन्ट्रैक्ट और प्राइवेट कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है। यह नई व्यवस्था 1 जनवरी 2025 से लागू होगी, जिससे लगभग 5 करोड़ कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा।
वेतन में बदलाव
इस नई व्यवस्था के तहत, अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम मासिक वेतन अब 18,000 रुपये और उच्च कुशल श्रमिकों का वेतन 30,000 रुपये तक निर्धारित किया गया है। निर्माण क्षेत्र में मजदूरों के दैनिक वेतन में सबसे ज्यादा 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जहां अकुशल मजदूरों का वेतन 600 से बढ़कर 690 रुपये और कुशल मजदूरों का 800 से 920 रुपये हो गया है।
किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए राहत
कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के लिए सरकार ने 12 प्रतिशत की वेतन वृद्धि का प्रावधान किया है। इससे गांवों में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और शहरों की ओर पलायन में कमी आएगी।
सेवा क्षेत्र में सुधार
होटल, रेस्तरां और दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके बाद, इस क्षेत्र में न्यूनतम मासिक वेतन 16,000 रुपये से बढ़कर 17,600 रुपये हो गया है। वहीं, आईटी और बीपीओ क्षेत्र में वेतन में 8 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई है।
सरकार की पहल
सरकार इस नई व्यवस्था को सफल बनाने के लिए कई कदम उठा रही है। वेतन भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, कर्मचारियों की शिकायतों के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी। नियमित अंतराल पर वेतन दरों की समीक्षा भी की जाएगी।
इस फैसले से न केवल करोड़ों श्रमिकों का जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। अधिक वेतन से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह कदम आय असमानता को कम करने में भी मदद करेगा। कर्मचारियों को बेहतर वेतन मिलने से उनकी कार्य संतुष्टि बढ़ेगी और वे अपने कौशल विकास पर ध्यान दे सकेंगे।
इस तरह यह वेतन वृद्धि न केवल श्रमिकों के लिए बल्कि समूचे देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।